पहाड़ की गोद में,
पेड़ की ओट में,
रहे थे लड़,
गणेश और मूषक।Continue reading गणेश और मूषक
चतुर नारद
आकाश में था बादल,उस पर थे लेटे नारद,उठते, बैठते, करवटें बदल,ऊब गये थे बेचारे नारद। तीनों लोकों का कर भ्रमण्ड,चुगलियाँ कर तोड़ भ्रम,लोगों में भर द्वेष अनंत,कोहराम फैला चुके थे नारद। तब शिव और हरि से पड़ी डांट,बोले बढ़ाये झगड़े तो सजा जान,गुफा में रहोगे दिन-रात,फँस गए थे बेचारे नारद। लगे टहलने परेशान मन,बेखबर उड़तेContinue reading चतुर नारद →
रौद्र का मोहक रूप
आसमान था भयभीतपरन्तु धरती थिरक रही थी,चारों तरफ डमरू कीआवाज़ फैली हुई थी। चन्द्र जटा से निकलबादलों में छुप गया था,गंगा भी सिमट करपत्थरों में दुबक गयीं थीं। नीलकंठ की बिखरीं लटाएंइधर-उधर उड़ रहीं थीं,चेहरे पर गुस्से सेभ्रकुटी तनी हुई थीं। घूमते नयनों मेंसतरंग भाग रहे थे,हृदय की धड़कनों सेमानो दौड़ लगा रहे थे। पसीनेContinue reading रौद्र का मोहक रूप →