खामोशी Posted on September 29, 2022September 29, 2022 by Taru Agarwal लबों पर शब्द आते आते रह गए,जो कहना चाहते थे वह सिसकियों में बह गए,अब नयी खामोशी है फैली सुकून से भरी,ऐ ज़िंदगी, तेरे इस नए पहलू में हम रम गए। Published by Taru Agarwal View all posts by Taru Agarwal
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