अँधेरे से रोशिनी की तरफ

दिन चढ़ा, रोशिनी बढ़ी,
पर दिल में है अँधेरे की नदी,
उस पर ना थमने वाली आँधी,
मन को रहती झिंझोड़ती!

दोस्त लगे कतराने,
हम लगे बहाने बनाने,
सिलसिला यह जो शुरू हुआ,
लगता नहीं कभी ख़त्म होगा,
दिन चढ़ा, रोशिनी बढ़ी,
पर दिल में है अँधेरे की नदी!

हर शब्द हो गया झूठा,
हर अर्थ हो गया उल्टा,
लोग नहीं करते अब हमसे बात,
पता नहीं कब फिर जाएगा हमारा दिमाग,
दिन चढ़ा, रोशिनी बढ़ी,
पर दिल में है अँधेरे की नदी!

शिखर से पातळ का रास्ता,
शून्य में था हमने तय किया,
सब कब, क्यों, कैसे हो गया,
यह नहीं समझ आ रहा,
दिन चढ़ा, रोशिनी बढ़ी,
पर दिल में है अँधेरे की नदी!

प्यार जितना हमने किया जिंदगी से,
दूसरों ने उतना रश्क किया हमसे,
गुनाह हमारा सिर्फ यही था,
जिंदगी ने हमें बहुत कुछ दिया था,
दिन चढ़ा, रोशिनी बढ़ी,
पर दिल में है अँधेरे की नदी!

जानतें हैं समय स्थिर नहीं रहता,
अमावस्या बाद पूर्ण चाँद है खिलता,
दुआ बस हमारी तुमसे है खुदा,
चंद लम्हें चुरा ख़ुशी के अभी दे देना,
दिन चढ़ा, रोशिनी बढ़ी,
पर दिल में है अँधेरे की नदी!

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