तजुरबे

कुछ यादों की परतों में दबाते गये,
कुछ समय के अंधड़ उड़ाते गए,
ऐ ज़िंदगी तेरे तजुरबों को जीते,
कुछ आबाद तो कुछ बर्बाद होते गये।

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