आसमान था भयभीतपरन्तु धरती थिरक रही थी,चारों तरफ डमरू कीआवाज़ फैली हुई थी। चन्द्र जटा से निकलबादलों में छुप गया था,गंगा भी सिमट करपत्थरों में दुबक गयीं थीं। नीलकंठ की बिखरीं लटाएंइधर-उधर उड़ रहीं थीं,चेहरे पर गुस्से सेभ्रकुटी तनी हुई थीं। घूमते नयनों मेंसतरंग भाग रहे थे,हृदय की धड़कनों सेमानो दौड़ लगा रहे थे। पसीनेContinue reading रौद्र का मोहक रूप
शकुन्तला का सत्य
फूल हैं फीके-फीके से,पत्तियाँ कच्ची-कच्ची सी,हवा में खुशबू नहीं,बरसात है सूखी सूखी सी. सूरज में कोई ताप नहीं,चिड़ियों में आवाज़ नहीं,वीणा की मधुर धुन भी छौने,लगती साँप की फुफकार सी. मन कैसा विचित्र है होता,सोचती व्याकुल शकुन्तला,जैसा चाहे वैसा देखता,सत्य के रूप हर पल बदलता. दुखी आँखें अशान्त मन मेरा,जानती हूँ सब माया का फेरा,फूलोंContinue reading शकुन्तला का सत्य →
सिया का संयम
(शिव यह कहानी अपनी प्रिया, यानी, पार्वती को सुना रहे हैं) अशोक वाटिका का था नगर,वट वृक्ष बना था उनका घर,रह रहीं थी उसके नीचे सिया,यही नाम था उनका, मेरी प्रिया,सुनाता हूँ आज तुम्हें उनकी अद्भुत कहानी,प्रेम, विश्वास, आत्म-सम्मान से भरी थी यह रानी,उठा लाया था उन्हे एक राक्षस,मोक्ष पाने का था उसे लालच,बन्दी बनाContinue reading सिया का संयम →
सुभद्रा-कृष्ण संवाद
रात की कालिमा थी बिखरी,युद्ध विराम की शान्ति थी फैली,तम्बुओं के झुरमुठों में,जलते अलावों के सामने,जख्मी सैनिक रहे थे गा,दिल में लिए जोश,और क्यों न हो,जब साथ मिला श्री कृष्ण का हो। पर यह क्या नज़ारा है,यह दुखी सा कौन आ रहा है,मोर पँख तो हैं एक ही लगाते,पर यह श्री कृष्ण नहीं हो सकते,चालContinue reading सुभद्रा-कृष्ण संवाद →
यहाँ सब चलता है मेरे यार
सड़क पर जा रहे थे हम तन कर,माँग ली जगह बस गजभर,हॉर्न दिया, डिपर दिया, इशारा भी किया,फिर भी बाइक ने रास्ता नहीं दिया,गाड़ी में बैठे दोस्त ने दिया उकसा,क्या यही है रुतबा यहाँ आपका?बस जेब से निकाल हमने तमंचा चला दिया,बाइक वाले का सिर धड़ से उड़ा दिया,दोस्त हमारा आ गया सकते में,बोला मियाँContinue reading यहाँ सब चलता है मेरे यार →
शकुन्तला का सत्य
फूल हैं फीके-फीके से,पत्तियाँ कच्ची-कच्ची सी,हवा में खुशबू नहीं,बरसात है सूखी सूखी सी. सूरज में कोई ताप नहीं,चिड़ियों में आवाज़ नहीं,वीणा की मधुर धुन भी छौने,लगती साँप की फुफकार सी. मन कैसा विचित्र है होता,सोचती व्याकुल शकुन्तला,जैसा चाहे वैसा देखता,सत्य के रूप हर पल बदलता. दुखी आँखें अशान्त मन मेरा,जानती हूँ सब माया का फेरा,फूलोंContinue reading शकुन्तला का सत्य →
अँधेरे से रोशिनी की तरफ
दिन चढ़ा, रोशिनी बढ़ी,पर दिल में है अँधेरे की नदी,उस पर ना थमने वाली आँधी,मन को रहती झिंझोड़ती! दोस्त लगे कतराने,हम लगे बहाने बनाने,सिलसिला यह जो शुरू हुआ,लगता नहीं कभी ख़त्म होगा,दिन चढ़ा, रोशिनी बढ़ी,पर दिल में है अँधेरे की नदी! हर शब्द हो गया झूठा,हर अर्थ हो गया उल्टा,लोग नहीं करते अब हमसे बात,पताContinue reading अँधेरे से रोशिनी की तरफ →
मत हो परेशान, हँसो
मत हो परेशान, हँसो…यह जिन्दगी तो बीतनी है बीत जाएगी,हँस के जियोगे तो आसान हो जाएगी,मत हो परेशान, हँसो… मुश्किलें तो आनी हैं, आयेंगी,हँस के करोगे सामना तो चली जाएँगी,मत हो परेशान, हँसो… गम तो आने हैं और जाने भी,हँस के सहोगे तो फुर्र होंगें जल्दी,मत हो परेशान, हँसो…
वो कहानियाँ
बन्द दरवाज़ों के पीछे,छुपी हैं कहानियाँ,दे दस्तक उकसातीं हमें,खोलने को कुंडियाँ,करतीं हैं गुदगुदी,फुसफुसाती हैं कान में,बहुत अफसाने छुपे हैं,इन दीवारों और खंबों में। लगता है डर,जब खुलेंगें यह खिड़की-दरवाज़े,क्या-क्या कहर ढाएँगे,वह छुपे हुए अफसाने,रहने दो इन कहानियों को,तुम कहानी,इन राज़ों की सिहरन ही है,बहुत डरावनी। जी लो जिंदगी को जैसे यह ख्वाब है,इसके पन्नों को समझने काContinue reading वो कहानियाँ →
कहाँ है घर मेरा
ना मन्दिर का आँगन,ना बाबुल की गलियाँ,रुकें वहीं कदम,जहाँ दिल को मिले दस्तक,थम जा, ठहर जा,यही है तेरी सुकून की छैया। ओढ़ ले, सोख ले,समय का क्या पता,धूप होगी या छाँव,जिन्दगी का अगला पन्ना। भींच ले सुकून कोमन में ऐसे,फिसल ना जाए बनरेत के दाने जैसे। फिर धूप हो या छाँव,किसको है चिंता,मिलेगा तुझे सुकून,क्योंकिContinue reading कहाँ है घर मेरा →