पलकों की दुनिया में,नींद के पंख लगा चलो चलें। सपनों का देश है,बहुत प्यारा भेष है,चलो यहीं रुक जाएँ,हवा की चादर ओढ़ सो जाएँ,पलकों की दुनिया में,नींद के पंख लगा चलो चलें। परियों का घर है,बहुत प्यारा नगर है,चलो यहीं रुक जाएँ,तारों से बातें कर सो जाएँ,पलकों की दुनिया में,नींद के पंख लगा चलो चलें।Continue reading पलकों की दुनिया में चलो चलें
मैया का कन्नहिय्या
तिरकिट तिरकिट दौड़े कन्नहिय्या,उछले बोले मैया मैया,माखन खाऊँ, धूप में खेलूँ,मटकी तोड़ूँ, रस बरसाऊँ,रोक सके तो रोक ले मुझको,लुक-छिप कर के छकाऊँगा तुझको। तिरकिट तिरकिट दौड़े कन्नहिय्या,उछले बोले मैया मैया,शेर पे बैठूँ, कान मैं खीचूँ,पूँछ पे उसकी लटकूँ खेलूँ,रोक सके तो रोक ले मुझको,जँगल जँगल दौड़ाऊँगा तुझको। तिरकिट तिरकिट दौड़े कन्नहिय्या,उछले बोले मैया मैया,चाँद पेContinue reading मैया का कन्नहिय्या →
संगीत की लहर
उठी कहीं एक,मध्यम सी लहर,शब्दों के संगम की लहर,धुनों के बंधन की लहर,मन के डोलने की लहर,तन के थिरकने की लहर,उठी कहीं एकसंगीत की लहर।
उल्टा-पुलटा
उड़ती बकरी, चलती मछ्ली,
तैरता कव्वा, उल्टा पुलटा।
नीचे सिर, ऊपर पैर,
सब कुछ दिखता, बदला बदला।Continue reading उल्टा-पुलटा →