काबुल कन्नौज कराची

काबुल, कन्नौज, कराची,
सारा घूमा, सारा देखा,
पर देखा ना ऐसा जलवा,
ओ लहंगेवाली,
कर ले तू मुझसे शादी,
नहीं तो भोक दे ख़ंजर मुझमें,
यहीं बनेगी मेरी समाधी,
ओ लहंगेवाली।

तेरी नथनी है छल्ले वाली,
लगा के इसकी हथकड़ी,
बना ले अपना साथी,
ओ लहंगेवाली
कर ले तू मुझसे शादी,
नहीं तो चढ़ जाऊँगा सूली,
और यहीं बनेगी मेरी समाधी,
ओ लहंगेवाली।

तेरी बिंदिया है तारों वाली,
इन तारों की छांव में,
गुनगुनाएंगे हम रातों में,
ओ लहंगेवाली
कर ले तू मुझसे शादी,
नहीं तो इन तारों की छांव में ही,
बनेगी मेरी समाधी,
ओ लहंगेवाली।

तेरी पायल है घुँघरू वाली,
इनकी छन-छन पर मैं नाचूँ,
तेरे दिल के कोने-कोने में मैं झाँकूँ,
ओ लहंगेवाली,
तू भी देख ले काबुल कन्नौज कराची,
अगर कोई कर ले मुझसे ज़्यादा आशिक़ी,
तो यहीं बनेगी मेरी समाधी,
ओ लहंगेवाली,
कर ले तू मुझसे शादी।

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