मियाँ मकसूद की बेगम

मियाँ मकसूद चले हकीम के पास,
पूछना था इश्क़ का इलाज़।

कहानी कुछ इस तरह से है…

मियाँ थे गए देखने लड़की,
पसन्द आ गयी उसकी अम्मी,
और दिल साला गया मचल,
गाने लगा गज़ल पे गज़ल,
समझाने पर भी जब ना समझा,
मियाँ ने कहा अब है कुछ करना,
चल दिये हकीम के पास,
की अब वही करेंगे इसका इलाज़,
बताया मसला हकीम को,
बोले निकालो दिल से अम्मा को।

हकीम हँसे, बहुत हँसे, और बोले…
मियाँ इश्क़ की है एक ही काट,
इश्क़ ही है इश्क़ का इलाज़,
कर लो इश्क़ किसी और से,
उड़ जाएगी अम्मा फुर्र से।

ले हकीम की सलाह,
चल दिये मकसूद मियाँ,
फिर पहुँचे देखने लड़की,
फिर से दिल में गज़ल बजी,
पर यहाँ भी पत्ता गलत पड़ा,
लड़की की अम्मी पे दिल गया,
जहाँ जाते यही होता,
तो मकसूद मियाँ के,
होश हुए फाक्ता,
फिर दौड़े हकीम के पास,
बोले बचा लो तुम मेरी जान।

हकीम फिर हँसे, बहुत हँसे, और बोले…
कल आना दे देंगे दवाई,
फिर देखते हैं गज़ल या रुसवाई।

अगले दिन जब पहुँचे मियाँ,
हकीम ले आए एक कन्या,
बोले बनाओ इसे अपनी बेगम,
और बजाओ सितार पर गज़ल,
जब मकसूद मियाँ लगे कुछ खोजने,
हकीम बोले ऊँची आवाज़ में,
मत खोजो मियाँ,
नहीं मिलेगी इसकी अम्मा,
दुनिया से रुखसत हुए,
उसे हो गया है एक अरसा।

मकसूद मियाँ हँसे, बहुत हँसे,
और बेगम का हाथ पकड़ चल दिये।

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