समय और माहोल देख, डरता हूँ:
कुछ ग़लत ना बोल दूँ,
कुछ ग़लत ना सीख लूँ,
कहीं बढ़ती संकीर्णता का हिस्सा ना बन जाऊँ
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खामोशी
लबों पर शब्द आते आते रह गए,
जो कहना चाहते थे वह सिसकियों में बह गए,
अब नयी खामोशी है फैली सुकून से भरी,
ऐ ज़िंदगी, तेरे इस नए पहलू में हम रम गए।Continue reading खामोशी →
वो, गुमराह
उस तीसरे आदमी ने कुछ ख़्वाब देखे थे
जो पूरे नहीं हुए।
पर उस बच्चे ने तो अभी ख़्वाबContinue reading वो, गुमराह →
झोले में दुनिया
एक झोले में दुनिया चली,रख कपड़े, साबुन और तेल,यादों के धागे लपेट,रुक्मय्या चली,एक झोले में दुनिया चली। छोड़ आँगन और गाँव की गली,छोड़ दादू, भोला और छोटी,बापू और अम्मा की गोदी,रुक्मय्या चली,एक झोले में दुनिया चली। खेत बिक गये थे भैया,किसी को था कमाना रूपय्या,ले परिवार की ज़िम्मेदारी,रुक्मय्या चली,एक झोले में दुनिया चली। छोड़ पीछेContinue reading झोले में दुनिया →
सोना मेरा सोना
सोना मेरा सोना,
सोएगा मेरा सोना,
चिड़ियों सँग नींद में,
चहकेगा मेरा सोना।Continue reading सोना मेरा सोना →
अनजानी राहें
जो राह कहीं ना जाती हो
उस राह की अब कोई चाह नहीं।
छोटी-छोटी पगडंडियाँ
जो खो जाती हैं इधर-उधर
उन डगरों पर जाना नहीं
क्यूँ उनका कोई मुक़ाम नहींContinue reading अनजानी राहें →
मद-मस्त पत्तियाँ
हवा के झोंकों में, इठलाती हैं पत्तियाँ, पवन के स्पर्श से, सिहरती हैं पत्तियाँ, सूर्य की रोशिनी से, जीवन पाती हैं पत्तियाँ, परन्तु पवन के झिंझोड़ने से ही,| खिलखिलाती है पत्तियाँ, हवा के संगीत पर, Continue reading मद-मस्त पत्तियाँ →
स्मार्ट गधा
गधे रे गधे,आजा स्कूल में पढ़ें। खाता है घास क्यों,क्या सोचता है कभी तू?ढूँढ किताब में जवाब,और बन जा स्मार्ट। जब धोबी तुझे है हाँकता,क्या गुस्सा नहीं है आता?पढ़-लिख बन जा स्मार्ट,और करा धोबी से काम। चलाना सीख कम्प्युटर,बन स्मार्ट चल तन कर,फिर तुम बोलोगे ढेंचू,और सब कहेंगे जी हज़ूर। गधे रे गधे,आजा स्कूल में पढ़ें ।
किलकत पुलकत
किलकत पुलकत उछलत नटखट,
देखत ददुआ कूँके एकदम,
हाथ बढ़ाकर घूमत माँगत,
गोदी चढ़कर किलकत मनभर,Continue reading किलकत पुलकत →
हिम्मत
किनारे किनारे चले तो क्या मज़ा,लहरों की तरह टूट गिरोगे,अरे बीच में उतर गोते लगा तो देखो,मछली की तरह तैरने लगोगे।