समय और माहोल देख, डरता हूँ:
कुछ ग़लत ना बोल दूँ,
कुछ ग़लत ना सीख लूँ,
कहीं बढ़ती संकीर्णता का हिस्सा ना बन जाऊँ
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खामोशी
लबों पर शब्द आते आते रह गए,
जो कहना चाहते थे वह सिसकियों में बह गए,
अब नयी खामोशी है फैली सुकून से भरी,
ऐ ज़िंदगी, तेरे इस नए पहलू में हम रम गए।Continue reading खामोशी →
From Across My Car’s Windowpane
I can’t help but appear aloof
when little waifs approach me
from across my car’s windowpane—Continue reading From Across My Car’s Windowpane →
वो, गुमराह
उस तीसरे आदमी ने कुछ ख़्वाब देखे थे
जो पूरे नहीं हुए।
पर उस बच्चे ने तो अभी ख़्वाबContinue reading वो, गुमराह →
परेशान हूँ की परेशानी नहीं है
परेशानी का मंज़र कहाँ गया,
सब शाँत और सुनहरा क्यों हो गया,
जब ऐसा होता तो क्यों लगता,
क्या जिंदगी से कहीं कुछ खो गया?Continue reading परेशान हूँ की परेशानी नहीं है →
चिक्की की शादी
बोली चिक्की करूँगी शादी,
जल्दी जल्दी करो तय्यारी,
पापा, मम्मी जाओ बाज़ार,
ले के आओ कपड़े और हार,Continue reading चिक्की की शादी →
जिंदगी का कारवाँ
जिंदगी का कारवाँ जा रहा था,
हम भी साथ हो लिये,
यूँ ही बातें करते, साथ हँसते, रोते,
दिन गुज़र गये।Continue reading जिंदगी का कारवाँ →
हिम्मत
किनारे किनारे चले तो क्या मज़ा,लहरों की तरह टूट गिरोगे,अरे बीच में उतर गोते लगा तो देखो,मछली की तरह तैरने लगोगे।
जीने की राह
ख़ुद के चाँद बनो,उधार की रोशनी में कब तक जियोगे?जैसे शराब का नशा अपनी बोतल में है,दूसरे की में नहीं,ज़िन्दगी का नशा प्यार मुहब्बत में है,नफ़रत में नहीं।
चतुर नारद
आकाश में था बादल,उस पर थे लेटे नारद,उठते, बैठते, करवटें बदल,ऊब गये थे बेचारे नारद। तीनों लोकों का कर भ्रमण्ड,चुगलियाँ कर तोड़ भ्रम,लोगों में भर द्वेष अनंत,कोहराम फैला चुके थे नारद। तब शिव और हरि से पड़ी डांट,बोले बढ़ाये झगड़े तो सजा जान,गुफा में रहोगे दिन-रात,फँस गए थे बेचारे नारद। लगे टहलने परेशान मन,बेखबर उड़तेContinue reading चतुर नारद →