किनारे किनारे चले तो क्या मज़ा,लहरों की तरह टूट गिरोगे,अरे बीच में उतर गोते लगा तो देखो,मछली की तरह तैरने लगोगे।
जीने की राह
ख़ुद के चाँद बनो,उधार की रोशनी में कब तक जियोगे?जैसे शराब का नशा अपनी बोतल में है,दूसरे की में नहीं,ज़िन्दगी का नशा प्यार मुहब्बत में है,नफ़रत में नहीं।
चतुर नारद
आकाश में था बादल,उस पर थे लेटे नारद,उठते, बैठते, करवटें बदल,ऊब गये थे बेचारे नारद। तीनों लोकों का कर भ्रमण्ड,चुगलियाँ कर तोड़ भ्रम,लोगों में भर द्वेष अनंत,कोहराम फैला चुके थे नारद। तब शिव और हरि से पड़ी डांट,बोले बढ़ाये झगड़े तो सजा जान,गुफा में रहोगे दिन-रात,फँस गए थे बेचारे नारद। लगे टहलने परेशान मन,बेखबर उड़तेContinue reading चतुर नारद →
Lady In The Chair AND short STORIES
Lady In The Chair transports you into six different worlds that are each unique yet have a common thread.Continue reading Lady In The Chair AND short STORIES →