उड़ी उड़ी उड़ी
मेरी यादों की पतंग उड़ी।
बाबा का चश्मा झँझोड़,
दादी को कर गुदगुदी, हँसी,
मेरी यादों की पतंग उड़ी।
नानी की गोदी में छिप,
नाना की आँखों से बची
मेरी यादों की पतंग उड़ी।
स्कूल का डोसा और पैटी,
दुनिया में कहीं नहीं मिली,
मेरी यादों की पतंग उड़ी।
हॉस्टल का मिल्स-अँड-बून क्लब,
कॉलेज में क्लासेस कर बंक, भगी,
मेरी यादों की पतंग उड़ी।
भैया की साइकल से गिर,
पापा के स्कूटर पर कर मस्ती,
मेरी यादों की पतंग उड़ी।
छत पर तारों को गिन,
माँ के गुलाब-जामुन पर पली,
हो गयी मैं बड़ी,
बस यादें रह गयीं,
और एक कसक छोड़ गयीं,
देखो,
उड़ी उड़ी उड़ी है जा रही,
मेरी यादों की पतंग कहीं।
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