जो राह कहीं ना जाती हो
उस राह की अब कोई चाह नहीं।
छोटी-छोटी पगडंडियाँ
जो खो जाती हैं इधर-उधर
उन डगरों पर जाना नहीं
क्यूँ उनका कोई मुक़ाम नहींContinue reading अनजानी राहें
जो राह कहीं ना जाती हो
उस राह की अब कोई चाह नहीं।
छोटी-छोटी पगडंडियाँ
जो खो जाती हैं इधर-उधर
उन डगरों पर जाना नहीं
क्यूँ उनका कोई मुक़ाम नहींContinue reading अनजानी राहें →
हवा के झोंकों में, इठलाती हैं पत्तियाँ, पवन के स्पर्श से, सिहरती हैं पत्तियाँ, सूर्य की रोशिनी से, जीवन पाती हैं पत्तियाँ, परन्तु पवन के झिंझोड़ने से ही,| खिलखिलाती है पत्तियाँ, हवा के संगीत पर, Continue reading मद-मस्त पत्तियाँ →
Lately, I’ve been asked this question a lot – how do we survive in this environment rife with uncertainty at everyContinue reading PAUSE →
भंग और संग में तरंग,
जोड़े होली के रंग,
उड़ा है गुलाल का उबार,
होली खेले मिल सब यार।Continue reading होली →
पहाड़ की गोद में,
पेड़ की ओट में,
रहे थे लड़,
गणेश और मूषक।Continue reading गणेश और मूषक →
बोली चिक्की करूँगी शादी,
जल्दी जल्दी करो तय्यारी,
पापा, मम्मी जाओ बाज़ार,
ले के आओ कपड़े और हार,Continue reading चिक्की की शादी →
छिपकली रानी बहुत चालाक,
मकड़ा देख लगाती ताक,
मौका देख मारती झपट्टा,
जीभ निकाल खा लेती मकड़ा,Continue reading छिपकली और मम्मी →
सिर पर पगड़ी, चमड़े का जूता, फटा-पुराना, भूरा-भूरा; मिट्टी सा कुर्ता, घुटनों थी धोती, पीठ पर थैला भरा भरा; हाथ में बाजा, होंठों पे गाना, बेचने आया इकतारा; धुन को पकड़ते दौड़ते बच्चे, लग गए पीछे हँसते हँसते। अम्मा दे दे एक चवन्नी, बोली मुन्नी खींचती चोटी; अम्मा बोली यह ले मुन्नी, एक चवन्नी, भगContinue reading बेचने आया इकतारा →
गधे रे गधे,आजा स्कूल में पढ़ें। खाता है घास क्यों,क्या सोचता है कभी तू?ढूँढ किताब में जवाब,और बन जा स्मार्ट। जब धोबी तुझे है हाँकता,क्या गुस्सा नहीं है आता?पढ़-लिख बन जा स्मार्ट,और करा धोबी से काम। चलाना सीख कम्प्युटर,बन स्मार्ट चल तन कर,फिर तुम बोलोगे ढेंचू,और सब कहेंगे जी हज़ूर। गधे रे गधे,आजा स्कूल में पढ़ें ।