तिरकिट तिरकिट दौड़े कन्नहिय्या,उछले बोले मैया मैया,माखन खाऊँ, धूप में खेलूँ,मटकी तोड़ूँ, रस बरसाऊँ,रोक सके तो रोक ले मुझको,लुक-छिप कर के छकाऊँगा तुझको। तिरकिट तिरकिट दौड़े कन्नहिय्या,उछले बोले मैया मैया,शेर पे बैठूँ, कान मैं खीचूँ,पूँछ पे उसकी लटकूँ खेलूँ,रोक सके तो रोक ले मुझको,जँगल जँगल दौड़ाऊँगा तुझको। तिरकिट तिरकिट दौड़े कन्नहिय्या,उछले बोले मैया मैया,चाँद पेContinue reading मैया का कन्नहिय्या
संगीत की लहर
उठी कहीं एक,मध्यम सी लहर,शब्दों के संगम की लहर,धुनों के बंधन की लहर,मन के डोलने की लहर,तन के थिरकने की लहर,उठी कहीं एकसंगीत की लहर।
खोज
दिन की रोशनी में,
रात के अँधेरों में,
खुद को ढूँढ ले लेती हूँ,
जब मैं ढूँढना चाहती हूँ।Continue reading खोज →
जिंदगी का कारवाँ
जिंदगी का कारवाँ जा रहा था,
हम भी साथ हो लिये,
यूँ ही बातें करते, साथ हँसते, रोते,
दिन गुज़र गये।Continue reading जिंदगी का कारवाँ →
हिम्मत
किनारे किनारे चले तो क्या मज़ा,लहरों की तरह टूट गिरोगे,अरे बीच में उतर गोते लगा तो देखो,मछली की तरह तैरने लगोगे।
जीने की राह
ख़ुद के चाँद बनो,उधार की रोशनी में कब तक जियोगे?जैसे शराब का नशा अपनी बोतल में है,दूसरे की में नहीं,ज़िन्दगी का नशा प्यार मुहब्बत में है,नफ़रत में नहीं।
चाँद-चाँदनी की झड़प
चाँद ने कहाआजा मेरे पासचाँदनी बोलीजा जा, जारे जामैं तो चलीतारों के पास। तू है छलियाजग का मन बसियारूप हैं तेरे कितने हज़ारकभी कंगन, कभी गढ़ाकभी टूटी मठरीतो कभी छलकता जाम,कैसे करूँ निरमोहीतुझ पे विश्वास? सूरज का तापदेता जग को आँचउसकी रोशनी सेचलता यह संसारएक तू है गुस्सैलमन में तेरे मैलअपने मोह मेंतूने छीना जलContinue reading चाँद-चाँदनी की झड़प →
कृष्णा की राधा
नटखट मन बावरा,बोले राधा राधा,चल बैठें यमुना तीरें,बातें करें धीरे धीरे,कदम्ब के हार बनाकर,तुम को सजाकर,कुछ देर देखूँ,फिर बाँसुरी सुनाऊँ,नटखट मन बावरा,बोले राधा राधा। मटकी जो तेरी कमरिया,फिसल गयी बाँसुरिया,देखा जो तुमने कन्नखिया,भूल गया यह दुनिया,चमकती जब बिजुरिया,दिखती हैं तेरी दँतिया,नटखट मन बावरा,बोले राधा राधा! जलन होती है पनघट से,पी लूँगा उसे एक घूँट में,वीणाContinue reading कृष्णा की राधा →
गणेश और मूषक
पहाड़ की गोद में,पेड़ की ओट में,रहे थे लड़,गणेश और मूषक। विषय गंभीर था,मामला संगीन था,मूषक था गया अड़,गणेश ना बिठाऊँ ऊपर। बढ़ गया है वजन गणेश का,दबता है शरीर मूषक का,कमर लगी है उसकी दुखने,हड्डियाँ लगी हैं चिरमिराने। मोदक गणेश कहते छोडूंगा नहीं,ऊपर मूषक कहता बिठाऊंगा नहीं,गणेश कहते तुम मोटे हो जाओ,मूषक कहता तुमContinue reading गणेश और मूषक →
चतुर नारद
आकाश में था बादल,उस पर थे लेटे नारद,उठते, बैठते, करवटें बदल,ऊब गये थे बेचारे नारद। तीनों लोकों का कर भ्रमण्ड,चुगलियाँ कर तोड़ भ्रम,लोगों में भर द्वेष अनंत,कोहराम फैला चुके थे नारद। तब शिव और हरि से पड़ी डांट,बोले बढ़ाये झगड़े तो सजा जान,गुफा में रहोगे दिन-रात,फँस गए थे बेचारे नारद। लगे टहलने परेशान मन,बेखबर उड़तेContinue reading चतुर नारद →