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Taru Agarwal

Taru Agarwal

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Category: MYTHOLOGY

कृष्णा की राधा

नटखट मन बावरा,बोले राधा राधा,चल बैठें यमुना तीरें,बातें करें धीरे धीरे,कदम्ब के हार बनाकर,तुम को सजाकर,कुछ देर देखूँ,फिर बाँसुरी सुनाऊँ,नटखट मन बावरा,बोले राधा राधा। मटकी जो तेरी कमरिया,फिसल गयी बाँसुरिया,देखा जो तुमने कन्नखिया,भूल गया यह दुनिया,चमकती जब बिजुरिया,दिखती हैं तेरी दँतिया,नटखट मन बावरा,बोले राधा राधा! जलन होती है पनघट से,पी लूँगा उसे एक घूँट में,वीणाContinue reading कृष्णा की राधा →

April 2, 2021May 20, 2021

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गणेश और मूषक

पहाड़ की गोद में,पेड़ की ओट में,रहे थे लड़,गणेश और मूषक। विषय गंभीर था,मामला संगीन था,मूषक था गया अड़,गणेश ना बिठाऊँ ऊपर। बढ़ गया है वजन गणेश का,दबता है शरीर मूषक का,कमर लगी है उसकी दुखने,हड्डियाँ लगी हैं चिरमिराने। मोदक गणेश कहते छोडूंगा नहीं,ऊपर मूषक कहता बिठाऊंगा नहीं,गणेश कहते तुम मोटे हो जाओ,मूषक कहता तुमContinue reading गणेश और मूषक →

April 2, 2021May 20, 2021

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चतुर नारद

आकाश में था बादल,उस पर थे लेटे नारद,उठते, बैठते, करवटें बदल,ऊब गये थे बेचारे नारद। तीनों लोकों का कर भ्रमण्ड,चुगलियाँ कर तोड़ भ्रम,लोगों में भर द्वेष अनंत,कोहराम फैला चुके थे नारद। तब शिव और हरि से पड़ी डांट,बोले बढ़ाये झगड़े तो सजा जान,गुफा में रहोगे दिन-रात,फँस गए थे बेचारे नारद। लगे टहलने परेशान मन,बेखबर उड़तेContinue reading चतुर नारद →

April 2, 2021May 20, 2021

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रौद्र का मोहक रूप

आसमान था भयभीतपरन्तु धरती थिरक रही थी,चारों तरफ डमरू कीआवाज़ फैली हुई थी। चन्द्र जटा से निकलबादलों में छुप गया था,गंगा भी सिमट करपत्थरों में दुबक गयीं थीं। नीलकंठ की बिखरीं लटाएंइधर-उधर उड़ रहीं थीं,चेहरे पर गुस्से सेभ्रकुटी तनी हुई थीं। घूमते नयनों मेंसतरंग भाग रहे थे,हृदय की धड़कनों सेमानो दौड़ लगा रहे थे। पसीनेContinue reading रौद्र का मोहक रूप →

April 2, 2021May 20, 2021

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शकुन्तला का सत्य

फूल हैं फीके-फीके से,पत्तियाँ कच्ची-कच्ची सी,हवा में खुशबू नहीं,बरसात है सूखी सूखी सी. सूरज में कोई ताप नहीं,चिड़ियों में आवाज़ नहीं,वीणा की मधुर धुन भी छौने,लगती साँप की फुफकार सी. मन कैसा विचित्र है होता,सोचती व्याकुल शकुन्तला,जैसा चाहे वैसा देखता,सत्य के रूप हर पल बदलता. दुखी आँखें अशान्त मन मेरा,जानती हूँ सब माया का फेरा,फूलोंContinue reading शकुन्तला का सत्य →

April 2, 2021May 20, 2021

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सिया का संयम

(शिव यह कहानी अपनी प्रिया, यानी, पार्वती को सुना रहे हैं) अशोक वाटिका का था नगर,वट वृक्ष बना था उनका घर,रह रहीं थी उसके नीचे सिया,यही नाम था उनका, मेरी प्रिया,सुनाता हूँ आज तुम्हें उनकी अद्भुत कहानी,प्रेम, विश्वास, आत्म-सम्मान से भरी थी यह रानी,उठा लाया था उन्हे एक राक्षस,मोक्ष पाने का था उसे लालच,बन्दी बनाContinue reading सिया का संयम →

April 2, 2021May 20, 2021

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सुभद्रा-कृष्ण संवाद

रात की कालिमा थी बिखरी,युद्ध विराम की शान्ति थी फैली,तम्बुओं के झुरमुठों में,जलते अलावों के सामने,जख्मी सैनिक रहे थे गा,दिल में लिए जोश,और क्यों न हो,जब साथ मिला श्री कृष्ण का हो। पर यह क्या नज़ारा है,यह दुखी सा कौन आ रहा है,मोर पँख तो हैं एक ही लगाते,पर यह श्री कृष्ण नहीं हो सकते,चालContinue reading सुभद्रा-कृष्ण संवाद →

April 2, 2021May 20, 2021

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    Taru is a bilingual writer and poet who writes in English and Hindi. Through the pages of www.taruagarwal.com, she shares her thoughts, reflections and experiences. As a child, Taru started giving shape to her words in the forms of small poems for others. Later, these took the shape of longer poems and blog expressions.

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