एक था कव्वा कायर सा,नाम था उसका डरपोक झा,डरता था वो उड़ने से,तेज़ था पर वो लड़ने में। एक दिन बोली चींटी उससे,सैर कराओ हवा में उड़के,डरपोक झा बोला चिल्ला के,रुपये लूँगा बहुत सारे। चींटी बोली नोट दिखा के,नहीं अकड़ते मेरे प्यारे,यह ले सौ रुपये का नोट,चल अब जल्दी हवा की ओर। डरपोक झा अबContinue reading डरपोक झा
मियाँ मकसूद की बेगम
मियाँ मकसूद चले हकीम के पास,पूछना था इश्क़ का इलाज़। कहानी कुछ इस तरह से है… मियाँ थे गए देखने लड़की,पसन्द आ गयी उसकी अम्मी,और दिल साला गया मचल,गाने लगा गज़ल पे गज़ल,समझाने पर भी जब ना समझा,मियाँ ने कहा अब है कुछ करना,चल दिये हकीम के पास,की अब वही करेंगे इसका इलाज़,बताया मसला हकीमContinue reading मियाँ मकसूद की बेगम →
चतुर नारद
आकाश में था बादल,उस पर थे लेटे नारद,उठते, बैठते, करवटें बदल,ऊब गये थे बेचारे नारद। तीनों लोकों का कर भ्रमण्ड,चुगलियाँ कर तोड़ भ्रम,लोगों में भर द्वेष अनंत,कोहराम फैला चुके थे नारद। तब शिव और हरि से पड़ी डांट,बोले बढ़ाये झगड़े तो सजा जान,गुफा में रहोगे दिन-रात,फँस गए थे बेचारे नारद। लगे टहलने परेशान मन,बेखबर उड़तेContinue reading चतुर नारद →
प्यार का भंवर
प्यार का भंवर,है एक चक्कर,जितने अटके,उतने झटके,फँसे तो दुनिया खत्म,निकले तो भी खत्म,ना ऐसे खुश,ना वैसे खुश,प्यार का भंवर,सच में है यह चक्कर ।
चाँद-चाँदनी की झड़प
चाँद ने कहाआजा मेरे पासचाँदनी बोलीजा जा, जारे जामैं तो चलीतारों के पास। तू है छलियाजग का मन बसियारूप हैं तेरे कितने हज़ारकभी कंगन, कभी गढ़ाकभी टूटी मठरीतो कभी छलकता जाम,कैसे करूँ निरमोहीतुझ पे विश्वास? सूरज का तापदेता जग को आँचउसकी रोशनी सेचलता यह संसारएक तू है गुस्सैलमन में तेरे मैलअपने मोह मेंतूने छीना जलContinue reading चाँद-चाँदनी की झड़प →
काबुल कन्नौज कराची
काबुल, कन्नौज, कराची,सारा घूमा, सारा देखा,पर देखा ना ऐसा जलवा,ओ लहंगेवाली,कर ले तू मुझसे शादी,नहीं तो भोक दे ख़ंजर मुझमें,यहीं बनेगी मेरी समाधी,ओ लहंगेवाली। तेरी नथनी है छल्ले वाली,लगा के इसकी हथकड़ी,बना ले अपना साथी,ओ लहंगेवालीकर ले तू मुझसे शादी,नहीं तो चढ़ जाऊँगा सूली,और यहीं बनेगी मेरी समाधी,ओ लहंगेवाली। तेरी बिंदिया है तारों वाली,इन तारोंContinue reading काबुल कन्नौज कराची →