भटक रहा है मन,
बेचैन बहुत है मन,
पागल घोड़े की तरह,
दौड़ रहा है मन।
सपने चले गए छोड़,
कुछ नहीं बाद इस मोड़,
अकेले बादल की तरह,
उड़ा जा रहा है मन,
भटक रहा है मन,
बेचैन बहुत है मन।
सही क्या है नहीं पता,
सही कौन है नहीं पता,
रूखे बालों की तरह,
उलझा हुआ है मन,
भटक रहा है मन,
बेचैन बहुत है मन।
शब्द हो गए खत्म,
कर्मों में नहीं रहा दम,
म्रत शरीर की तरह,
शिथिल हो गया है मन,
भटक रहा है मन,
बेचैन बहुत है मन।
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