उस तीसरे आदमी ने कुछ ख़्वाब देखे थे
जो पूरे नहीं हुए।
पर उस बच्चे ने तो अभी ख़्वाब
देखने भी नहीं शुरू किए थे कि
एक दिन वो स्कूल गया
और फिर कभी वापस नहीं आया।
क्योंकि उस तीसरे आदमी के नए ख़्वाब
खून से सने हुए थे।
रोज़ बन रहें हैं ऐसे नये
गुमराह कातिल।
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